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नगर में आवारा कुत्तों के आतंक से भय का माहौल, एक दर्जन से अधिक कुत्तों का झुंड घूम रहा सड़कों पर।

नगर में आवारा कुत्तों के आतंक से भय का माहौल एक दर्जन से अधिक कुत्तों का झुंड घूम रहा सड़कों पर। 

सावधान : बच्चों को बना सकते है शिकार ।

मुलताई ( पाशा खान ) नगर में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है। नगर में अकसर डॉग बाइट के मामले भी सामने आते रहते है। जिसके कारण लोगों में भय का माहौल बना हुआ है। सोमवार को एक दर्जन के करीब आवारा कुत्तों का एक झुंड सड़कों पर घूमता हुआ नजर आया जो कि लोगों के लिए आफत बना है।

यह आवारा कुत्ते राहगीरों पर हमला कर रहे है। इन कुत्तों को पकड़ने के लिए लोग कई बार गुहार लगा चुके है, लेकिन फिलहाल कोई राहत नहीं मिली है।

स्कूल आने–जाने वाले बच्चों पर आवारा कुत्तों के झुंड द्वारा हमले का डर हमेशा बना रहता है । पहले भी बच्चों के काटने के कई मामले सामने आए हैं। रात में दोपहिया वाहन से निकलने पर लोगों को ये कुत्ते दौड़ा देते हैं। i


"रात में यदि घर लौटो तो कुत्तों की टोली पीछे पड़ जाती है और ये दूर तक पीछा करते हैं। ऐसे में हमेशा इस बात का डर रहता है कि कहीं कोई दुर्घटना न हो जाए। कुत्ते दौड़ते हुए पैर पकड़ने का प्रयास करते हैं।" संदीप सोनी (संदीप ज्वेलर्स ) आजाद वार्ड मुलताई 

"वैसे तो पूरे दिन आवारा कुत्तों की धमाचौकड़ी चलती है लेकिन रात में तो इनसे डर लगने लगता है। बच्चे और बुजुर्ग बाहर हों तो डर और बढ़ जाता है। इनकी बढ़ती संख्या पर काबू करने की बेहद जरूरत है।" दीपक सोलंकी ( कनक कंप्यूटर ) मुलताई 


नियंत्रण का केवल एक उपाय

नगर पालिका के पास आवारा कुत्तों के नियंत्रण का केवल एक ही उपाय है और वह है नसबंदी। 

इसके लिए आवारा कुत्तों को पकड़ा जाता है और फिर उनकी नसबंदी की जाती है। करीब 5 दिनों तक उनकी देखरेख होती है फिर उन्हें वहीं छोड़ दिया जाता है, जहाँ से पकड़ा जाता है। 

सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया

मार्च 2024 में, उच्च न्यायालय ने पाया कि आवारा कुत्तों को खाना खिलाने से उनका क्षेत्रीय व्यवहार बढ़ गया है, जिससे कुत्ते और भी आक्रामक हो गए हैं और पैदल चलने वालों पर हमला लगे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों की समस्या को एक गंभीर मुद्दा बताया। न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि आवारा पशुओं को पूरी तरह से हटाना संभव नहीं है, फिर भी अधिकारियों को नसबंदी और सुरक्षित प्रबंधन के माध्यम से उनकी संख्या को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।

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