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पोला पर्व पर बाजार में जमकर बिके प्लास्टर ऑफ पेरिस के नंदी, मिट्टी से बने नंदी को नहीं मिले खरीददार । POP मूर्ति पर क्या कहता है शास्त्र ?

पोला पर्व पर बाजार में जमकर बिके प्लास्टर ऑफ पेरिस के नंदी, मिट्टी से बने नंदी को नहीं मिले खरीददार। 

क्या कहता है शास्त्र बता रहे पंडित सौरभ जोशी महाराज

मुलताई (  पाशा खान ) कल नगर सहित आसपास के ग्रामीण अंचलों में पारंपरिक पोला पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा, जिसको लेकर नगर के साप्ताहिक बाजार में वृषभराज का श्रृंगार नाथ, रँग बिरंगी मछोन्डी, झालर, घुंघरू घंटी और पाजेब की दुकाने देखने को मिली तो वही प्रशासन के प्रतिबंध के बावजूद प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी नंदी की मूर्तियां जमकर बिकी तो वही पारंपरिक मूर्तिकारों द्वारा बनाए गए मिट्टी के नंदियों को ग्राहक नहीं मिल पाए।


बता दे कि यह पर्व महाराष्ट्र सहित मध्यप्रदेश के कई जिलों में भाद्रपद की अमावस्या को मनाया जाता है, पोला पर्व पर 12 महीने किसानों के साथ खेती में साथ देने वाले बैलों कों नहला कर आभूषणों से सजाया जाता है वही बैलों को अच्छा खान-पान कराया जाता है जिनके पास बैल नहीं होते हैं वह मिट्टी से बने बैलों की पूजा अर्चना करते है।

क्या कहता है शास्त्र ?  बता रहे पंडित सौरभ जोशी महाराज ।

मिट्‌टी से पवित्र और कुछ नही मां ताप्ती मंदिर के परंपरागत पुजारी  पं सौरभ दत्त्त्तात्रय जोशी जी ने बताया कि हमारी वैदिक परंपरा में कहीं भी पीओपी की मूर्ति बनाने या फिर उसे पूजने का विधान नहीं है। मिट्टी या पत्थर की भी मूर्ति बनती है तो पहले औजार शुद्ध किए जाते हैं फिर मूर्ति तैयार होने पर शुद्ध की जाती है  गणपति पूजन और दुर्गा पूजन एवं अन्य उत्सवों पर पोला पर्व पर आजकल जो बैलों की प्रतिमा इत्यादि विक्रय होती है वह सब प्रतिमाएं मिट्टी की ही बनना चाहिए इसके बाद प्राण प्रतिष्ठा करके उसे स्थापित किया जाता है, जबकि पीओपी की मूर्तियों में ऐसा नहीं होता पर्यावरण और शास्त्रीय परंपरा को कायम रखने के लिए हमें मिट्टी की मूर्तियों का निर्माण करना चाहिए जो पर्यावरण के लिए भी संतुलन बनाने में सहयोग प्रदान करें और पवित्रता भी कायम हो ।

नगर के मिट्टी की मूर्ति के मूर्तिकार 

नगर के मूर्तिकारों कमलेश प्रजापति का कहना है कि उनके द्वारा परंपरागत रूप से मिट्टी की मूर्तियों के साथ नंदी की मूर्ति भी बनाई जाती है जो प्लास्टर ऑफ पेरिस से कहीं कम नहीं होती है फिर भी बाजार में मिट्टी की मूर्तियों के खरीददार नहीं मिल पा रहे हैं। पहले तो उनके द्वारा बनाई गई मूर्तियों को खरीददार मिल भी जाते थे, लेकिन जब से बाजार में प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां आने लगी है इस ओर ग्राहकों का रुझान कम हो गया है।


देखने में आ रहा है कि शासन प्रशासन का प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों पर बेन होने के बाद भी बाजार में जमकर प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां बेची जा रही है,जिस ओर शासन प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है।

वही आगामी समय में गणेश उत्सव पर भी बाजार में प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां देखने को मिलेंगी जिस पर शासन प्रशासन को उचित कार्रवाई करना चाहिए।

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